किसी जंगल मैं बरगद का एक विशाल वृक्ष था उस वृक्ष पर काले रंग के अनेक हंस घोंसला बनाकर रहते थे वृक्ष का तना बहुत मोटा और चिकना था इस कारण किसी का उस पर चढ़ पाना बहुत मुश्किल था सभी हंस स्वयं को सुरक्षित महसूस करते हुए वहां आनंद पूर्वक रह रहे थे
एक बार उस वृक्ष की जड़ में अंगूर की एक बेल उग आयी यह देखकर एक बूढ़ा हंस चिंतित हो उठा उसने दूसरे हंस से कहा मित्र सुनो बरगद की जड़ में जो अंगूर की बेल उगाई है वह हमारे विनाश का कारण बन सकती है यह वृक्ष पर चढ़ती जाएगी और धीरे-धीरे अपना आकार बढ़ाती जाएगी एक दिन यह मोटी होकर वृक्ष के समूचे तने से लिपट जाएगी फिर इस मोटी बेल पर चढ़कर कोई भी शिकारी हमारे घोसले तक आसानी से पहुंच सकता है इसलिए दूरदर्शिता यह है कि इस बेल को अभी ही नष्ट कर दो इसकी जड़े अभी मुलायम है इसलिए इसे नष्ट करने में ज्यादा परिश्रम नहीं करना पड़ेगा
बूढ़े हंस की बात सुनकर जवान हंस उसका उपहास करने लगे बोले चाचा रहने दो अपनी सीख भला इस घने जंगल में कौन शिकारी आ सकता है जो हमें नुकसान पहुंचा सके तुम तो सठिया गए हो तुम्हें मामूली सी बात से हानि होने का अंदेशा होने लगता है यह बेल उग रही है तो उस उगने दो इससे वृक्ष की सुंदरता ही बढ़ेगी हमारा कुछ नुकसान थोड़े ही हो जाएगा बेचारा बूढ़ा हंस खिसिया कर चुप रह गया
अंगूर की बेल निरंतर बढ़ती गई धीरे-धीरे उसने वृक्ष के सारे तने को अपने घेरे में ले लिया उसकी तनियाँ वृक्ष की अन्य शाखाओं तक फैल गई और उसका आकार भी किसी मोटी रस्सी की तरह का हो गया हंस किसी भावी खतरे से बेखबर अपनी दिनचर्या में मस्त रहने लगे
बूढ़े हंस की आशंका सच साबित हुई एक दिन प्रातः ही जब हंस अपना भोजन खोजने के लिए जाने को तैयार हो रहे थे तभी एक बहेलिया ना जाने कहां से घूमता घुमाता उधर आ निकला उसने वृक्ष पर ढेर सारे हंस देखे तो मन ही मन पुलकित हो उठा वह सोचने लगा आज का दिन मेरे लिए बहुत शुभ लगता है एक ही स्थान पर इतने पक्षी आज इन सभी को पकड़ लूंगा मेरे कई दिनों के भोजन का प्रबंध हो जाएगा ऐसा विचार कर वह बहेलिया एक वृक्ष के पीछे छुप गया और हंसों के वहां से जाने की प्रतीक्षा करने लगा
कुछ देर बाद जब सभी हंस अपने अपने घोसले छोड़कर भोजन खोजने के लिए चले गए तो बहेलिया उस मोटी बेल के सहारे वृक्ष पर चल गया उसने अपना जाल खोला और घोसले के ऊपर फैला दिया फिर वह नीचे उतरा और यह सोच कर वापस चला गया कि सुबह आकर जाल में फंसे हंसो को निकालूंगा
शाम को जब हंस अपने अपने बसेरे में लौटे तो एक-एक कर सभी बहेलिये के बिछाए जाल में फंस गए अब तो वह बहुत घबराए उन्होंने अपने पंख फड़फड़ा कर जाल से निकलने का बहुत प्रयास किया किंतु उनके सारे प्रयास असफल रहे हंसों की ऐसी दुर्दशा देखकर बूढ़ा हंस बहुत दुखी हुआ बोला मैंने पहले ही तुम सब को चेताया था कि इस बेल को चढ़ने से पूर्व ही काट डालो लेकिन तुमने मेरी बात नहीं मानी उल्टे मेरी ही खिल्ली उड़ाई अब परिणाम सामने है हम सब किसी बहेलिया द्वारा बिछाए मजबूत जाल में फंस गए हैं सुबह बहेलिया आएगा और हम सब को पकड़ कर ले जाएगा हमारा जीवन अब कुछ ही देर का बचा है
बूढ़े हंस की बात सुनकर जवान हंसो के सिर शर्म से झुक गए रोते-कलपते और स्वयं को कोसते हुए बोले हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई हमें आपके कहने के अनुसार काम करना चाहिए था हाय क्या सचमुच कल सुबह हम सब मारे जाएंगे
जिस स्थिति में तुम फंसे हुए हो उसमें तो तुम सब की मृत्यु निश्चित ही समझो बूढ़ा हंस बोला
बुजुर्गवार हमने आपकी सीख नहीं मानी इसी कारण आज हम मुसीबत में फंस गए हैं हमें आपकी उपेक्षा करने पर पश्चाताप हो रहा है आप हम सबसे अनुभवी और बड़ी आयु के हैं कृपया करके अब हमें कोई ऐसा उपाय बता दीजिए जिससे हम इस जाल से मुक्त हो जाएं कई हंसों ने उस बूढ़े हंस से प्रार्थना की
हंसो की बात सुनकर बूढ़े हंस को दया आ गई उसने कहा तो सुनो – जब बहेलिया आकर तुम्हें जाल से निकालने लगे तो तुम सब ऐसा जाहिर करना जैसे तुम मर चुके हो तुम्हें मृतक जानकर बहेलिया तुम्हे जाल से निकाल कर नीचे फेंक देगा जैसे ही वह हमारे अंतिम साथी को भी आजाद करके नीचे फेंके तुम सब तुरंत उड़ जाना सभी हंसो ने वचन दिया कि वह उसी के कहे अनुसार काम करेंगे
अगले दिन प्रातः बहेलिया पुनः आ पहुंचा नीचे से उसने ऊपर दृष्टि उठाई तो हंसो को जाल में फंसा देखा तो हर्षित हो उठा वह झटपट बेल के सहारे ऊपर पहुंचा किंतु उसकी खुशी आधी रह गई जब उसने देखा कि उसके जाल में फंसे सभी हंस मर चुके हैं बहेलिया ने जाल की तनियाँ खोली और एक-एक करके हंसो को जाल से मुक्त कर के नीचे फेंकने लगा जब अंतिम हंस भी उसने नीचे फेंक दिया तो जैसे सभी हंसों में अचानक जान आ गई उन्होंने अपने पंख फड़फड़ाए और आकाश की और उड़ चले
यह देखकर बहेलिया जाल को नीचे फेंक जल्दी उतरने लगा उसे उम्मीद थी कि वह एक दो हंस तो जरूर ही पकड़ लेगा किंतु सब निष्फल रहा हंस उसके नीचे पहुंचने से पहले बहुत ऊपर उठ चुके थे अपने शिकार को इस प्रकार हाथ से निकल जाते देख पहेलियों को बड़ा दुख हुआ वह हाथ मलता हुआ वहां से चला गया बूढ़े हंस की सीख मान लेने के कारण हंसो की जान बच गई
अतः उन सब ने निश्चय किया कि भविष्य में वह कभी भी किसी बुजुर्ग का उपहास नहीं उड़ाएंगे बल्कि उसके अनुभव से ज्यादा ही फायदा उठाने की कोशिश करेंगे