पर्वत की तलहटी में एक घने और ऊंचे वृक्ष में सिंधुक नाम का एक विचित्र प्रजाति का पक्षी रहता था विचित्र इसलिए कि जब वह बीट करता था तो भूमि पर गिरते ही वह बीट सोना बन जाती थी एक दिन एक बहेलिया की नजर उस पर पड़ गई जो आखेट के लिए उस समय निकला हुआ था पक्षी की बीट को सोने में परिवर्तित होते देख उसे बहुत आश्चर्य हुआ वह मन में विचार करने लगा कि मेरी आयु 80 वर्ष की हो चली पर अभी तक मैंने ऐसा पक्षी नहीं देखा था
यह तो चमत्कारी है किसी तरह मैं इसे पकड़ सकूं तो यह मेरे लिए सोने की खान साबित हो सकता है यह सोचकर बहेलिया दबे पांव वृक्ष पर चढ़ गया पक्षी आराम से बैठा गुनगुना रहा था कि बहेलिया ने उस पर फंदा फेंका और वह जाल में फस गया बहेलिया उसे लेकर खुशी-खुशी अपने घर लौट आया उसने पक्षी को एक पिंजरे में बंद कर दिया कुछ देर बाद अचानक उसे विचार आया कि यदि राजा को इस बात की खबर लग गई कि मेरे पास सोने देने वाला एक पक्षी है
तो वह मुझे निश्चित ही कारागार में डलवा देंगे वे यही दोष मुझ पर लगाएंगे कि मैंने इस पक्षी को राजा को क्यों नहीं दिया मैंने क्यों इसे अपने घर में छुपाए रखा ऐसा विचार कर अगले दिन बाद पिंजरे मैं सिंधुक पक्षी को लेकर राजा के दरबार में जा पहुंचा उसने राजा को पक्षी की विशेषता बताई तो राजा बहुत खुश हुआ उसने बहेलिया को इनाम देकर वह पक्षी उससे ले लिया और बड़े यत्नपूर्वक उससे पहले पिंजरे से निकाल कर एक बड़े एवं सुंदर पिंजरे में बंद कर दिया
बहेलिया चला गया तो राजा के मंत्री ने राजा से कहा महाराज आपने बहेलिया की बात पर इस पक्षी को ले तो लिया किंतु यदि यह ऐसा ना निकला जैसा बताया गया है तो आप व्यर्थ ही उपहास के पात्र बन जाएंगे उचित यही रहेगा कि इस पक्षी को आजाद कर दिया जाए यह सुनकर राजा कुछ क्षण के लिए सोच में पड़ गए फिर बोले तुम ठीक कहते हो हम अभी इसे आजाद किए देते हैं
यह कहकर उसने पक्षी का पिंजरा खोल दिया सिंधुक उड़कर राज महल की मुंडेर पर जा बैठा और बीट कर दी राजा सहित वहां उपस्थित सभी दरबारी उस समय आश्चर्यचकित रह गए जब सिंधुक की बीट भूमि पर गिरते ही सोने में परिवर्तित हो गई अब राजा को पश्चाताप होने लगा कि उसने पक्षी को आजाद क्यों कर दिया उधर मुंडेर पर बैठे सिंधुक ने सोचा पहला मूर्ख तो मैं था
जो आसानी से बहेलिया के जाल में फस गया दूसरा मूर्ख बहेलिया निकला जिसने मेरी उपयोगिता को जानते हुए भी मुझे राजा को सौंपा और उससे भी बड़ा मुर्ख वह मंत्री था जिसने राजा को मुझे स्वतंत्र करने की सलाह दी इन सब से भी बड़ा मूर्ख तो यह राजा साबित हुआ जिसने परीक्षण किए बिना ही मुझे आजाद कर दिया यही विचार करता हुआ सिंधुक उड़ा और सीधा जंगल की और उड़ता चला गया