मध्यप्रदेश नामक शहर में शिवजी का एक मंदिर था एक साधु उस मंदिर में रहता था वह शहर में जाकर भिक्षा मांग कर लाता और अपने परिवार का पेट पालता था प्रतिदिन जब वह खाना खा चुकता तब बचा हुआ खाना अपने भिक्षा पात्र में डालकर खूंटी पर लटका देता था फिर वह सोने चला जाता और सुबह वह बचा हुआ खाना सफाई करने वाले कर्मचारी को दे देता जो कि मंदिर का बरामदा साफ करता था जहां वह सोता था
कुछ चूहे उस मंदिर में रहते थे वे उससे बहुत नाराज थे कि क्यों साधु अपना सारा खाना ऊपर टांग देता है वह इतनी ऊपर छलांग नहीं लगा सकते थे
चूहों ने अपने मुखिया से बात की जो कि बहुत चालाक और फुर्तीला था सब चूहों ने जाकर उससे कहा तुम कूदने में इतने कुशल हो कि तुम आसानी से साधु के भिक्षा पात्र तक पहुंच सकते हो फिर हमें दूसरी जगह खाना ढूंढने के लिए जाने की क्या आवश्यकता है जो खाना हमारे इतने पास है उसे हम तुम्हारी मदद से आसानी से खा सकते हैं
चूहे के मुखिया को यह बात बहुत अच्छी लगी उसने साधु के भिक्षा पात्र पर छलांग लगाने की कोशिश करने का वादा किया फिर कुछ और चूहों की सहायता से वह उसके पास रेंगता हुआ पहुंच गया फिर अपने फुर्तीला शरीर से कूदता हुआ भिक्षा पात्र के बिल्कुल निकट पहुंच गया और उस पात्र को नीचे की ओर लुढ़का दिया ताकि अन्य दोस्त जो नीचे खड़े थे उन्हें भी खाने को मिल जाए फिर वह और उसके साथी हंसी खुशी अपने अपने बिल में वापस चले गए यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा
साधु को पता चल गया था कि उसका खाना कोई रोज चुरा कर ले जाता है तब उसने अपने पात्र को और ऊंचा टांग दिया परंतु चूहों का मुखिया बहुत ऊपर तक कूदने वाला था इसलिए साधु को उस पर बहुत गुस्सा आया उसने चूहे की शरारत को रोकने की तरकीब बनाई जब वह अपने बिस्तर पर सोने जाता तो बांस की एक लंबी छड़ी से पात्र को हिलाता रहता ताकि चूहा डर कर भाग जाए जब भी चूहा उसके पात्र के पास आता तो वह जोर से छड़ी को हिलाने लगता और चूहा डर कर भाग जाता पर जैसे ही वह सोने की कोशिश करता चूहा फिर आ जाता इस प्रकार चूहे और साधु की सारी रात भागा दौड़ी मैं बीत जाती
एक बार एक अन्य साधु जो कि तीर्थ करने जा रहा था उस साधु से मिलने आया साधु ने उसका बहुत स्वागत किया और उससे अच्छा अच्छा भोजन करवाया सोने जाने से पूर्व सन्यासी और साधु धर्म पर विचार करने के लिए बैठे परंतु साधु सारा समय चूहे के बारे में सोचता रहा इसलिए उसने सन्यासी की बातों को ध्यान से नहीं सुना वह छड़ी से अपना पात्र हिलाता रहा और सन्यासी को गलत उत्तर देता रहा
आखिरकार सन्यासी ने साधु से गुस्से में कहा तुम मेरे सच्चे दोस्त नहीं हो मैं जो भी तुम्हें सुना रहा हूं तुम ध्यान से नहीं सुन रहे हो और मुझे गलत जवाब दे रहे हो मेरे ख्याल से तुम इस मंदिर को पाकर घमंडी हो गए हो और अपनी पुरानी दोस्ती को भूल गए हो
मैं ऐसा व्यवहार बर्दाश्त नहीं कर सकता मैं इसी क्षण यहां से जा रहा हूं
साधु सन्यासी की बातें सुनकर बड़ा गमगीन हो गया उसने कहा मित्र ऐसे मत रूठो तुम मेरे सबसे प्यारे मित्र हो यह सही है कि मैंने पिछले कुछ समय से तुम्हारी बातें ध्यान से नहीं सुन रहा था परंतु यह सब तुमसे नाराजगी की वजह से नहीं है मैं तुमको इसका सही कारण बताता हूं प्रतिदिन मैं अपना बचा हुआ भोजन इस पात्र में डाल कर ऊपर लटका देता हूं परंतु एक बदमाश चूहा ऊपर जाकर सारा भोजन खा लेता है और बचा हुआ अपने साथियों के लिए नीचे गिरा देता है इसलिए मैं छड़ी से पात्र हिलाता रहता हूं मैं चूहे को डराना चाहता हूं क्योंकि खाना ना मिलने से काम करने वाले सफाई करना नहीं चाहते इस बदमाशों ने मुझे परेशान कर रखा है एक बिल्ली या बंदर भी इतना ऊपर नहीं कूद सकता जितना कि यह चूहा
सन्यासी ने पूछा तुम चूहे के रहने का स्थान जानते हो
साधु ने कहा मैं नहीं जानता
सन्यासी ने कहा मेरे ख्याल से जहां भी यह चूहा रहता है वहां पर उसने बहुत सारा खाना जमा कर लिया है तभी इस चूहे में अपने भंडार को देखकर ऊपर कूदने की शक्ति आ गई है तुम्हें इसके रहने के स्थान का पता नहीं है
नहीं मित्र ! साधु ने उत्तर दिया
क्या तुम्हारे पास पकड़ने के लिए कोई छड़ है
हां मेरे पास लोहे की शक्तिशाली छड़ है
चलो अच्छा है कल सुबह ही हम दोनों इस चूहे का पीछा करेंगे और इसके बिल को खोदकर सारा खाना निकाल देंगे
चूहों के मुखिया ने जब यह सुना तो वह परेशान हो गया उसने सोचा अब तो मैं खत्म हो गया यह सन्यासी अवश्य ही मेरे खाने के खजाने का स्थान खोज लेगा इसलिए मुझे अपना रास्ता बदल लेना चाहिए उस रात चूहा अपने साथियों के साथ लंबे टेढ़े – मेढ़े रास्ते से घर जाने लगा पर तभी एक बिल्ली उन सभी चूहों के सामने आ गई और चूहों पर झपट पड़ी उसने कुछ चूहों को मार दिया और कुछ को जख्मी कर दिया जो चूहे बचे वह भागकर अपने बिल में छुप गए वह सब बहुत डरे हुए थे चूहे के मुखिया मंदिर के दूसरे कोने में भाग गया
थोड़ी देर पश्चात साधु और सन्यासी दोनों खून की धारा के पीछे – पीछे चूहों के मुखिया के बिल तक पहुंच गए उन्हें जल्दी ही खाने का खजाना मिल गया
जो कि चूहों के मुखिया ने इतने दिनों से जमा कर रखा था सन्यासी बहुत खुश हुआ और बोला यही वह खजाना है जिसने बड़े चूहे को इतना ऊपर कूदने की शक्ति दी है चलो हम यह सारा खाना ले चलते हैं और देखते हैं कि अब क्या होता है जब चूहों का मुखिया अपने बिल में पहुंचा तो वहां कुछ ना पाकर वह बहुत निराश हुआ उसने सारी रात दुखी होकर बिताई अगली सुबह वह फिर मंदिर में जा पहुंचा उसके सारे साथी ने उसे घेर लिया जब साधु ने चूहों के इधर उधर भागने का शोर सुना तो वह फिर छड़ी से अपना पात्र बजाने लगा
सन्यासी ने कहा मेरे प्यारे मित्र अब तुम आराम से सो जाओ साधु ने उत्तर दिया मैं कैसे सो सकता हूं जबकि बदमाश चूहा अपने साथियों सहित फिर यहां आ पहुंचा है इसलिए मैं छड़ी हिला रहा हूं सन्यासी ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया अब वह चूहा इतना ऊपर नहीं कूद पाएगा क्योंकि उसका बल खाने के खजाने में था और वह सारा खाना हम ले आए हैं
चूहा यह सब बातें सुनकर बहुत डर गया अब मैं उन्हें ऊपर कूद कर दिखा दूंगा कि मैं ऊपर कूद सकता हूं या नहीं यह सोचकर वह पात्र की और लपका पर वह उसके पास ना पहुंच कर जमीन पर धम से गिरा जब सन्यासी ने चूहे को जमीन पर दर्द से कराहते हुए देखा तो वह बहुत खुश हुआ उसने साधु से कहा देखो – देखो यह चूहा कितना अजीब और बेबस लग रहा है अभी यह भी अपने साथियों जैसा ही बन गया है अब तुम आराम से सो जाओ अभी इस चूहे की कूदने की ताकत हमारे हाथ में है
फिर साधु ने अपना बचा हुआ खाना एक थैले में डालकर उसका तकिया बना लिया और उस पर सो गया चूहे के साथी को पता चल गया कि उनका बहादुर नेता अब पहले जैसा नहीं रहा वह चुपचाप अपने बिल में जाकर घुस गया उसके सारे साथी उसे छोड़ कर चले गए और उन्होंने दूसरा नेता चुन लिया चूहों के मुखिया ने एक अंतिम प्रयास किया वह साधु के सिर के नीचे लगे तकिया मैं से खाना चुराने के लिए गया पर साधु जाग गया और उसने चूहे को अपनी लाठी से मारा चूहे को लाठी नहीं लगी पर वह समझ गया कि अब साधु को छकाना बेकार है
यह जगह अब रहने के काबिल नहीं है मैं अपने लिए दूसरा स्थान खोज लेता हूं जहां मैं आराम से रह सकूं यह सोचकर वह चूहा जल्दी से मंदिर से भाग गया और साधु ने उसे फिर कभी वहां नहीं देखा साधु ने उस सन्यासी की बुद्धिमता को धन्यवाद दिया जिसने उसे सिखाया था शत्रु की शक्ति को खत्म करने के लिए उसकी शक्ति के स्रोत पर वार करो