बहुत पहले की बात है सांपों का राजा एक घने जंगल में रहता था सांप बहुत होशियार शिकारी था वह चिड़ियों छिपकली और कछुए के अंडे खाया करता था वह उनका शिकार स्वयं ही करता था रात को तो वह शिकार करता और दिन में जब सूरज चमकता तो अपने बिल में जाकर सो जाता धीरे-धीरे सांप ताकतवर होता गया और एक दिन वह इतना मोटा हो गया कि उसके लिए बिल में घुसना और निकलना मुश्किल हो गया जब भी वह बिल से बाहर निकलता तो उसके शरीर पर खरोच पड़ जाती
मोटे सांप को अपना बिल छोड़कर नए घर की खोज करनी पड़ी उसने एक बहुत बड़े पेड़ को अपना घर बनाया पेड़ का घर काफी छायादार और शांत था परंतु उसकी जड़ में चीटियां का एक दल रहता था सांप ने विचार किया कि उसके लिए हजारों चीटियों के साथ रह पाना बड़ा मुश्किल होगा इसलिए वह रेंग कर चीटियों के पास पहुंचा और गुस्से से फुफकारता हुआ अपना पन पूरा फैला कर बोला मैं सांपों का राजा कोबरा हूं मैं इस जंगल का भी राजा हूं अब मैं यही रहूंगा तुम सब कहीं और जाकर अपना घर बनाओ
पेड़ के पास जो भी छोटे जानवर रहते थे सांप की फुफकार सुनकर डर के मारे इधर उधर भाग गए परंतु चीटियों ने सांप के डराने धमकाने पर कोई ध्यान नहीं दिया उन्होंने हजारों की संख्या में इकट्ठा होकर चुपचाप सांप के शरीर पर जाकर चिपट गई और उसे जगह-जगह से काटने लगी सांप गुस्से से तमतमा या और फुफकारने लगा परंतु वह चीटियों का कुछ नहीं बिगाड़ सका चीटियां उसके सारे शरीर पर कांटों की तरह चुभ रही थी आखिरकार दर्द से कराहता हुआ वह घमंडी सांप मर गया
विजयी हुई चीटियां अपने घर खुशी-खुशी वापस चली गई हालांकि वह बहुत छोटी – छोटी थी परंतु एकाग्रता और एकता से काम करते हुए उन्होंने इतने बड़े और ताकतवर दुश्मन को हरा दिया