किसी नगर में भद्रसेन नाम का एक राजा राज किया करता था उसकी एक कन्या थी जो बेहद सुंदर और गुणवंती एक दिन जब वह राजमहल के अपने कक्ष में सोई हुई थी तब एक राक्षस उसके कक्ष में आया उसने उस कन्या को देखा तो उस पर मोहित हो गया वह सोचने लगा यह कन्या तो अप्सराओं से भी ज्यादा सुंदर है क्यों ना इसका अपहरण कर अपने साथ ले चलो
ऐसा विचार कर राक्षस कन्या की और बड़ा लेकिन सहसा उसके बढ़ते कदम रुक गए राजकुमारी अपने तकिए के नीचे मंत्र सिद्धि का एक ऐसा ताबीज रखती थी जिसके प्रभाव से कोई भी बुरी बला उसके समीप नहीं फटक सकती थी उस रात राक्षस भी विफल होकर लौट गया लेकिन उसने निश्चय कर लिया था कि एक ना एक दिन वह इस सुंदर कन्या का अपहरण जरूर करेगा
उस दिन से वह राक्षस रोज रोज अदृश्य रूप में राजकुमारी के कक्ष में पहुंचने लगा राजकुमारी को उसके आगमन की सूचना तो मिल जाती थी किंतु वह उससे देख नहीं पाती थी राक्षस के आते ही उसका शरीर कांपने लगता था और वह समझ जाती थी कि राक्षस उसके कमरे में आ पहुंचा है इस तरह अनेक दिन बीत गए राजकुमारी बड़े कष्ट का अनुभव करने लगी
एक दिन उसकी एक सहेली उसके पास आयी राजकुमारी ने अपने मन की व्यथा उससे कहीं और बताया कि रात के अंधकार में एक राक्षस प्रतिदिन उसके कमरे में आता है और उसे परेशान करता है उस समय वह राक्षस भी अदृश्य रूप में राजकुमारी के कक्ष में मौजूद था उस मूर्ख ने यही समझा कि मेरी तरह कोई दूसरा राक्षस भी राजकुमारी पर मोहित है और उसका अपहरण करना चाहता है
किंतु किन्ही कारणवश अभी तक विफल रहा है राक्षस ने मन ही मन विचार किया आज मैं सारी रात इसी कक्ष में मौजूद रहूंगा देखूंगा कि मेरा प्रतिद्वंदी वह दूसरा राक्षस कौन है जो इस राज्यकन्या को कष्ट पहुंचा रहा है लेकिन फिर उसके मन में यह विचार उभरा मैं इस कक्ष में ही खड़ा रहा तो मेरे प्रतिद्वंदी राक्षस को मेरी उपस्थिति का पता चल जाएगा ऐसा करता हूं कि राजा के अस्तबल में एक घोड़ा बनकर खड़ा हो जाता हूं राक्षस जब राजकुमारी का अपहरण करके ले जाना चाहेगा तो उसे किसी अच्छे घोड़े की आवश्यकता जरूर पड़ेगी तब मैं उससे निपट लूंगा ऐसा विचार कर वह राक्षस शाही अस्तबल में पहुंचा और शानदार घोड़े का रूप धारण कर अन्य घोड़ों के साथ चुपचाप खड़ा हो गया
उसी रात घोड़ा चुराने की नियत से एक चोर सिपाहियों की नजर से बचकर राजा के गुडसाल में घुसा उसने वहां मौजूद सभी घोड़ों पर निगाह डाली फिर उसकी निगाह घोड़े बने राक्षस पर केंद्रित हो गई उसने घोड़े के मुंह में लगाम कसी और उछलकर उसकी पीठ पर सवार हो गया घोड़े को तेज दौड़ने के लिए उसने उसकी पीठ पर दो-चार जोरदार चाबुक मार दिए चाबुक लगते ही घोड़ा बना राक्षस एकदम सरपट दौड़ पड़ा उसने समझा
यही दूसरा राक्षस है जिसने आदमी का वेश बनाया हुआ है घोड़ा बना राक्षस जान बचाने के लिए वायु के वेग के समान भाग चला उसकी अप्रत्याशित चाल को देखकर उस पर सवार चोर वह भयभीत हो उठा उसने सोचा आज जान गई मेरी यह कोई सामान्य घोड़ा नहीं लगता जरूर घोड़े के बीच में कोई राक्षस या भूत प्रेत है
तभी सामने उसने बरगद का एक विशाल पेट देखा जिसकी शाखाएं नीचे तक लटक रही थी चोर ने घोड़े का रुख उसी वृक्ष की ओर मोड़ दिया जैसे ही पेड़ समीप आया चोर ने घोड़े की पीठ से उछलकर बरगद की एक मोटी शाखा पकड़ ली और ऊपर चढ़ गया
उस बरगद के पेड़ पर एक बंदर रहता था जो राक्षस को पहचानता था घोड़ा बने राक्षस को उसने पहचान लिया बंदर ने जोर से उसे आवाज लगाई अरे ठहरो मित्र राक्षस कहां भागे जा रहे हो बोझ हल्का हुआ तो राक्षस ने भी कुछ राहत महसूस की बंदर की आवाज सुनकर वहां रुक गया उसने मुड़कर बंदर की दिशा में देखा और बोला एक बलवान राक्षस ने बहुत देर से मुझे दबोच रखा था बड़ी मुश्किल से उससे आजाद हुआ हूं क्या तुमने उस राक्षस को नहीं देखा
वह कोई राक्षस नहीं वह तो एक साधारण मानव है तुम्हारा भोजन है चाहो तो उसे खाकर अपनी भूख मिटा सकते हो बंदर ने कहा
ओह कहां है वह ? राक्षस ने पूछा अब उसका आत्मविश्वास लौटने लगा था बंदर बोला इसी वृक्ष पर कहीं पत्तों में छुप गया है मैं अभी उसकी खोज करता हूं
यह सुनकर चोर के छक्के छूट गए वह बंदर के ठीक नीचे पत्तों में छिपा एक मोटी डाल से चिपका हुआ था बंदर की पूंछ नीचे लटक रही थी चोर ने आव देखा ना ताव झट से बंदर की पूंछ पकड़ ली और उसे चबाने लगा बंदर जोर-जोर से चीखने लगा और अपनी पूंछ छुड़ाने की कोशिश करने लगा
राक्षस ने जब बंदर को चीखते चिल्लाते देखा तो वह अत्यधिक भयभीत हो उठा उसने समझा कि जरूर यहां मनुष्य राक्षस ही है इसने बंदर को दबोच लिया है और उसे हड़प कर जाना चाहता है राक्षस फिर वहां एक पल के लिए भी ना रुका वह आगे ही आगे भागता चला गया