मूर्ख कछुआ
किसी घने जंगल में एक तालाब था उसके किनारे दो हंस और एक कछुआ मित्र बनकर रहते थे तालाब का पानी कभी सूखता नहीं था अतः तीनों को भूख मिटाने के लिए वहां पर्याप्त आहार मिल जाता था घने जंगल में स्थित होने के कारण तालाब के निकट बहेलिए भी कभी नहीं पहुंच पाते थे अतः तीनों मित्र निश्चित होकर जीवन का भरपूर आनंद लेते थे शाम होते ही वे आपस में मिलकर तरह-तरह की बातें करते हुए हंसते रहते थे तो कभी नाचते गाते और खुशी मनाते थे तीनों का जीवन बहुत सुख चैन से बीत रहा था
दुर्भाग्य से एक साल वर्षा नहीं हुई सूर्य की तेज किरणों से उस जगह की हरियाली नष्ट होने लगी पेड़ पौधे सूखने लगे तालाब का पानी भाप बनकर उड़ गया उसमें मुश्किल से थोड़ा सा पानी ही शेष रहा फिर सूर्य के निरंतर ताप से वह पानी भी सूखने लगा तलाब में रहने वाले छोटे छोटे जीव और मछलियां मरने लगी अब तो वे तीनों मित्र भी चिंतित हो उठे
दोनों हंसों ने निर्णय किया कि किसी और तालाब की खोज की जाए जिसमें खूब गहरा पानी हो और उसी तालाब के किनारे अपना ठिकाना बना लिया जाए अगले दिन दोनों हंस दूर तक उड़कर गए और ऐसा ही तालाब देख आए जिसमें स्वच्छ और निर्मल जल पर्याप्त मात्रा में भरा हुआ था दोनों हंसों ने निर्णय किया कि कल वह भी इसी सरोवर के किनारे रहा करेंगे
शाम को दोनों हंस अपने पुराने वाले तालाब पर पहुंचे हंसो को देखा तो कछुआ भी कीचड़ से निकल कर बाहर आ गया
हंसो ने उससे कहा मित्र ! कछुए हमने तो अपने रहने के लिए नया तालाब खोज लिया है अब हमें सिर्फ तुम्हारी चिंता है
कछुआ रोने जैसी आवाज में बोला – मित्रों अब मेरा मरना तो निश्चित है कुछ दिन बाद मै भी जल के अन्य जीवो मछलियों की तरह जल के अभाव में तड़प तड़प कर दम तोड़ दूंगा फिर कुछ ठहरकर आशा भरे स्वर में उसने पूछा – मित्रों ! क्या ऐसा नहीं हो सकता कि मैं भी तुम्हारे साथ उस नए तालाब पर रहने के लिए चल सकूं ?
ऐसा कैसे हो सकता है ? दोनों हंस बोले हमारे पास तो पंख हैं हम कहीं भी उड़ कर आ जा सकते हैं तुम तो एक रेंगने वाले जीव हो भला तुम हमारे साथ कैसे चल सकते हो
एक उपाय है मेरे दिमाग में कछुए ने कहा
तुम लकड़ी का एक टुकड़ा खोज लाओ मैं उस लकड़ी के मध्य में अपने दांतो से कसकर पकड़ लूंगा तुम दोनों के साथ में भी हवा में उड़ता हुआ उस सरोवर तक पहुंच जाऊंगा दोनों हंस कछुए की इस योजना पर सहमत हो गए शीघ्र ही उन्होंने लकड़ी का एक टुकड़ा तलाश कर लिया कछुए ने अपने दांतो से लकड़ी को मध्य भाग से पकड़ लिया उड़ने से पूर्व हंसों ने अपने मित्र कछुए को चेतावनी दी – मित्र कछुए लकड़ी के टुकड़े को अपने दांतो से कसकर पकड़े रहना और किसी भी हालत में अपना मुंह मत खोलना तुम थोड़ा चंचल हो जरा-जरा सी बात पर बहस करना शुरू कर देते हो अतः इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना यदि तुम तनिक भी अपना मुंह खोल दिया तो ऊंचाई से गिरकर तुम्हारा शरीर कई टुकड़ों में बिखर जाएगा
मित्रों विश्वास रखो मैं बिल्कुल वैसा ही करूंगा जैसा तुम ने मुझे समझाया है कछुए ने कहा दोनों हंसों ने उड़ान भरी वह बहुत ऊपर उड़ते चले गए हंस तेजी से अपने नए तालाब की ओर उड़ते जा रहे थे तभी कछुए ने नीचे की तरफ देखा नीचे एक कस्बा दिखाई दे रहा था जहां बहुत से लोग खड़े होकर कछुए को हंसो द्वारा ले जाते हुए आश्चर्य से देख रहे थे
अरे देखो तो दो हंस कछुए को लकड़ी पर लटका कर आकाश में उड़ जा रहे हैं कछुए ने नीचे से आते हुए आवाज धीरे से सुनी
उड़ने वाला कछुआ किसी दूसरे व्यक्ति ने कछुए की ओर उंगली से संकेत करके कहा भाई उड़ने वाला कछुआ तो मैंने पहली बार ही देखा है
नीचे से आती आवाजों को सुन – सुनकर कछुआ बेचैन होने लगा ज्यों ही कुछ कहने के लिए उसने अपना मुंह खोला की लकड़ी के टुकड़े पर से उसके दांतो की पकड़ हट गई और वह तेजी से नीचे गिरने लगा जमीन पर पहुंचते ही वह एक पत्थर के टुकड़े से टकराया और उसके शरीर के टुकड़े टुकड़े हो गए
मूर्ख कछुआ अपने मित्र हंसों की चेतावनी भूल गया था इसलिए उसे अपनी जान गवानी पड़ी किसी ने सच ही कहा है जो व्यक्ति अपने मित्र अपने हितैषीओ की सलाह पर ध्यान नहीं देता उसका परिणाम बहुत बुरा होता है बिल्कुल उसी कछुए की तरह जिसने अपने मित्र हंसों की सलाह ना मानकर अपना मुंह खोला और अततः उसकी मृत्यु हो गई