किसी नदी के किनारे एक बगुला और एक केकड़ा रहता था साथ साथ रहने के कारण दोनों में दोस्ती हो गई एक दिन बगुला उदास भाव से खड़ा नदी के जल को घूर रहा था तभी केकड़ा उसके पास पहुंचा और उसे उदास देखकर पूछा क्या बात है मित्र आज तुम बहुत उदास लग रहे हो अपना आहार भी नहीं खोज रहे
केकड़े का सहानुभूति भरा स्वर सुनकर बगुले की आंख से आंसू निकल पड़े बगुला रोते हुए स्वर में बोला- मित्र आज मैं सचमुच बहुत दुखी हूं जिस वृक्ष पर मैंने अपना घोंसला बनाया हुआ है उस वृक्ष की जड़ की एक कोटर में कुछ दिन से एक काला नाग आकर रहने लगा है मौका पाकर वह वृक्ष पर चढ़ जाता है और बगलो के अंडे बच्चों को निकल जाता है आज उस दुष्ट ने मेरे बच्चे भी खा लिए हैं मैं बहुत परेशान हूं कि उस नाग से कैसे छुटकारा पाऊं?
केकड़ा बहुत चतुर जीव था कहने को तो वह बगुले का मित्र था लेकिन वह सदैव उससे मन ही मन भयभीत भी रहता था कि ना जाने किस बात पर नाराज होकर बगुला उसे अपना आहार बना ले बगुले की समस्या सुनकर केकड़े ने कहा मित्र उस नाग से छुटकारा पाने का उपाय मैं तुम्हें साझा करू सकता हूं बशर्ते तुम उस पर अमल कर सको
मैं तुम्हारे परामर्श के अनुसार ही काम करूंगा बगुला बोला तुम जल्दी से उपाय को मुझे बता दो
तो सुनो पहले तुम किसी नेवले के रहने के स्थान का पता लगाओ तुम्हे तो मालूम ही है कि सर्प और नेवले की जातिगत दुश्मनी होती है जानता हूं भाई और एक ऐसा ही स्थान भी जानता हूं जहां नेवलों का एक जोड़ा रहता है अब आगे की बात बताओ बगुले ने पूछा
तुम प्रतिदिन कुछ मछलियां इकट्ठी करनी शुरू कर दो जब बहुत सी मछली इकठी हो जाए तो एक-एक करके उन्हें नेवले के रहने के ठिकाने से लेकर नाग की कठोर तक गिराते जाओ नेवले जब अपने बिल से बाहर निकलेंगे तो उन्हें मछलियों की सुगंध अपनी और आकर्षित करेगी मछली खोजते खोजते अतः वह नाग के ठिकाने तक जा पहुंचेंगे और नाग को खत्म कर देंगे केकड़े ने उपाय बताया
यह तो सचमुच ही बहुत सरल और कारगर उपाय है खुश होते हुए बगुले ने कहा मैं आज से ही मछली इकट्ठी करनी शुरू कर देता हूं
केकड़े का सुझाव मानकर बगुले ने वैसा ही किया उसने नेवले के बिल से लेकर नाग के कठोर तक थोड़ी-थोड़ी दूरी के अंतर से मछलियां गिरा दी मछलियों की खुशबू जैसे ही नेवले की नाक में पहुंची एक नेवला बाहर निकल कर आया रास्ते में बिछी मछलियों को खाता हुआ नाग कि कठोर तक जा पहुंचा फिर जैसे ही उसकी नजर नाग पर पड़ी वह उस पर टूट पड़ा दोनों में देर तक लड़ाई चलती रही अंत में नेवले ने नाग को मार डाला
इस प्रकार बगुले को नाग से छुटकारा मिल गया लेकिन इसका एक दूसरा दुष्परिणाम भी शीघ्र ही सामने आ गया नेवले को बिना प्रयास किए मछलियां खाने का चस्का लग गया एक दिन मछलियां तलाश करते करते और वृक्ष पर चढ़ गया और बगुले के शेष बचे अंडे बच्चों को भी चट कर गया इसलिए तो विद्वान ने कहा है कि अपने से बलवान शत्रु पर यदि विजय प्राप्त करनी हो तो उससे बलशाली उसके किसी दूसरे शत्रु का सहारा लो उपाय करने से ही बलवान शत्रु पर विजय प्राप्त की जा सकती है