एक किसान था उसका नाम धर्मपाल था उसके पास एक दुधारू गाय थी जो सुबह – शाम दूध देती थी धर्मपाल उस गाय का दूध बेचकर काफी धनी हो गया था एक बार गाय बीमार पड़ गई और उसने दूध देना छोड़ दिया
धर्मपाल ने सोचा कि गाय अब स्वस्थ तो हो नहीं सकती इसलिए वह उसे जंगल में छोड़ आया, लेकिन गाय अपने स्वभाववश धर्मपाल के पास वापस लौट आई उसने पुनः लाठी मार – मार कर उसे भगा दिया
गाय भटकती हुई पड़ोस के गांव में एक अन्य किसान माधव के खेत में जाकर बेहोश हो गई जब माधव की नजर उस पर पड़ी तो उसने उसे पानी पिलाया गाय को कुछ होश आया तो वह उसे अपने घर ले आया और उसकी चिकित्सा कराई अल्प समय में ही गाय स्वस्थ हो गई माधव ने गाय के मालिक का पता लगाने की कोशिश की लेकिन कोई भी उस गाय पर अपना हक जताने नहीं आया
कुछ ही दिनों में माधव की सेवा टहल के कारण गाय पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गई गाय ने एक बछड़े को जन्म दिया वह फिर से सुबह-शाम दूध देने लगी माधव भी दूध बेचकर अच्छी-खासी आमदनी करने लगा
माधव गाय का पूरा ख्याल रखता है और उसको भरपूर चारा देता धीरे-धीरे माधव की गाय की चर्चा चारों ओर फैल गई उस गाय के पहले वाले मालिक धर्मपाल के कानों में भी यह चर्चा पड़ी उसने माधव के घर आकर गाय को पहचान लिया और माधव से अपनी गाय मांगी
माधव गाय देने से इनकार करते हुए बोला जब यह गाय बीमार थी तब तुम कहां थे ?
अब स्वस्थ हो गई तो इसके मालिक बनकर चले आए
धर्मपाल ने पंचायत में माधव के खिलाफ शिकायत कर दी पंचायत बैठी माधव और धर्मपाल ने अपने-अपने तर्क रखे पंच सोच में पड़ गए कि फैसला किसके पक्ष में दे तब एक बुजुर्ग पंच ने कहा यह गाय स्वयं ही फैसला करेगी उन्होंने गाय को बीच में खड़ा कर दिया उसके एक तरफ माधव खड़ा हो गया और दूसरी तरफ धर्मपाल जब गाय को छोड़ा गया तो वह माधव के पास चली गई और उसका हाथ चाटने लगी पंचों ने कहा फैसला हो गया गाय माधव की है
कथा-सार
सद्भभाव सभी को अपना बनाने की सामर्थ्य रखता है जानवर तक व्यवहार के अनुसार आचरण करने लगते हैं उन्हें भी भले बुरे की समझ होती है कुत्ते को प्रेम से पुचकारे तो वह पूंछ हिलता है जबकि लात मारने पर काटने को आता है फिर गाय ने धर्मपाल और माधव के व्यवहार में अंतर पहचान लिया तो इसमें आश्चर्य कैसा !