किसी जंगल में एक शेर रहता था बूढ़ा हो जाने के कारण वह शिकार नहीं कर पाता था इसलिए उसका शरीर कमजोर होता जा रहा था वह अपनी कमजोरी दूसरे जानवरों के सामने प्रकट भी नहीं करना चाहता था नहीं तो दूसरे पशु उसके आदेशों की अवहेलना करने लगते कुछ विचार करने के बाद उसने सोचा कि किसी ऐसे पशु की मदद ली जाए जो किसी ना किसी पशु को बहका कर मेरे समीप ले आया करें मैं उस पशु को मार कर अपना पेट भर लिया करूंगा और थोड़ा बहुत उसके लिए भी छोड़ दिया करूंगा
ऐसा विचार कर उसने एक लोमड़ को अपने पास बुलाया और कहा सुनो लोमड़ आज से मैं तुम्हें अपना मंत्री नियुक्त कर रहा हूं मेरे भोजन की व्यवस्था करना अब तुम्हारा काम है तुम एक जानवर प्रतिदिन मेरे पास लाओगे उस जानवर को किस युक्ति से लाते हो यह तुम्हारी बुद्धिमानी पर निर्भर है मैं उसे मारकर अपनी भूख को भी शांत कर लूंगा और तुम्हें भी भोजन मिल जाएगा अब जाओ और मेरे लिए कोई ऐसा पशु लेकर आओ जिसे खाकर मैं अपनी भूख मिटा सकूं
मंत्री जैसा सम्मानित पद पा कर लोमड़ खुश हो गया वह प्रसन्नता पूर्वक शेर के लिए भोजन की तलाश में निकल गया वन के समीप ही एक गांव था उस गांव के धोबी ने गांव के समीप वाले तालाब में अपना धोबी – घाट बनाया हुआ था
सुबह अपने गधे की पीठ पर धुलने वाले कपड़े की लादी लादकर वह घाट पर पहुंच जाता और शाम को धुले कपड़े इकठे करके ले आता था गधा इस बीच मैदान में हरी – हरी घास चरता रहता था लोमड़ कभी-कभी दिन में इधर का फेरा भी मार लिया करता था इसलिए उसको गधे से मामूली जान पहचान हो गई थी शेर के लिए शिकार ढूंढने निकले लोमड़ ने उसी गधे को शिकार बनाने का इरादा कर लिया
वह गधे के पास पहुंचा और बोला मित्र तुम तो जानते ही हो कि हमारा राजा एक सिंह है जो जंगल के सभी पशुओं में सबसे ज्यादा शक्तिशाली है आज उसने मुझे अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया है उसने मुझे कहा है कि मैं दूसरा मंत्री नियुक्त करूं इसलिए मैं चाहता हूं कि मंत्री के पद पर आपकी नियुक्ति हो जाए तो ठीक रहेगा लोमड़ बोला
अपनी प्रशंसा सुनकर गधा खुश हो गया लोमड़ ने गधे को ऐसे – ऐसे ऊंचे ख्वाब दिखाए कि वह हिचकिचाहट छोड़कर पद पाने की लालच में लोमड़ के साथ चलने को तैयार हो गया
उसने लोमड़ से पूछा – मंत्री पद पाने के लिए मुझे क्या करना पड़ेगा मित्र ?
कुछ भी तो नहीं तुम्हे सिर्फ शेर के पास चल कर उसे प्रणाम करना पड़ेगा लोमड़ ने कहा
और यदि उसने मुझ पर हमला करके मुझे मार डाला तो गधे ने शंका जाहिर की तुम तो व्यर्थ ही शंका कर रहे हो मित्र लोमड़ बोला – मैं हूं ना तुम्हारे साथ मेरे रहते तुम्हारा बाल भी बांका नहीं होगा
गधा लोमड़ के झांसे में आकर उसके साथ चल पड़ा लोमड़ उसे शेर की गुफा के पास ले गया शेर तो उसी की प्रतीक्षा कर रहा था लोमड़ के साथ गधे को आते देखा तो एक झाड़ी के पीछे छिप गया फिर जैसे ही गधा निकट आया उसने गधे की ओर छलांग लगा दी एकाएक गधे को खतरे का अहसास हुआ तो वह तत्काल मुड़ा और तेजी से वापस दौड़ पड़ा बूढ़ा शेर उसका पीछा ना कर सका और हाथ मलता रह गया वह लोमड़ पर बहुत नाराज हुआ और बोला मूर्ख लोमड़ी हाथ में आया शिकार निकलवा दिया ना क्या थोड़ी देर और उससे बातों में बहलाए नहीं रख सकता था ?
महाराज लोमड़ बोला गलती तो आपकी भी है आप तो उसे देखते ही उस पर झपट पड़े थोड़ा और धैर्य रखते तो शिकार हाथ से ना जाने पाता जाओ एक बार फिर उसे किसी तरह बातों में बहलाकर ले आओ इस बार उसे मारने में मैं जल्दबाजी नहीं करूंगा शेर ने कहा
लोमड़ फिर से गधे के पास पहुंचा और बोला वहां से भाग क्यों आए मित्र भागता नहीं तो क्या अपनी जान गवाता गधा बोला शेर तो मुझे मारने के लिए तैयार बैठा था
अरे मित्र तुम्हें इन राजाओं से मिलने के तौर तरीके नहीं आते हैं शेर तो तुम्हारा स्वागत करने के लिए उतारू था तुमने समझा कि वह तुम्हें मारना चाहता है बस डर कर भाग गए चलो मेरे साथ वनराज तुमसे मिलने को व्याकुल हो रहा है मूर्ख गधा फिर लोमड़ी के बहकावे में आ गया और उसके साथ चल पड़ा जैसी ही वह गुफा के करीब पहुंचा शेर ने इस बार कोई गलती नहीं की झाड़ी से निकलकर उसने एक ऐसा पंजा मारा की गधा लोटपोट हो गया सिंह उस पर सवार हो गया कुछ ही देर में उसने गधे का काम तमाम कर दिया
खुश होकर शेर ने लोमड़ से कहा देखो लोमड़ मैं नदी में नहाने के लिए जा रहा हूं शिकार को हाथ मत लगाना पहले मैं खा लूंगा उसके बाद ही तुम्हारी बारी आएगी यह कहकर शेर नदी मैं स्नान करने चला गया
लेकिन लोमड़ को चैन कहा वहां उछलकर गधे के शरीर पर चढ़ गया और उसके दोनों कान और दिमाग निकाल कर खा गया
शेर स्नान करके वापस लौटा तो गधे के मृत शरीर से खून टपकता देखकर वह लोमड़ से बोला अरे लोमड़ मेरे मना करने पर भी तू नहीं माना जगह-जगह से गधे का मांस खा ही डाला तूने
मैंने कुछ नहीं किया महाराज लोमड़ धूर्तता से बोला गधा तो आप के पंजे से पहले से ही इतना घायल हो गया था कि इसके शरीर से खून बहने लगा था
मैं नहीं मानता शेर बोला – तुमने जरूर शिकार के साथ कुछ छेड़खानी की है इसके दोनों कान कहां है इसका दिमाग भी इसके सर से गायब है जरूर तूने ही दोनों चीजें खाई है
नहीं महाराज मैंने तो इसके शरीर का स्पर्श भी नहीं किया लोमड़ बोला वनराज इस गधे के कान और दिमाग तो थे ही नहीं अगर इसके कान और दिमाग होता तो क्या एक बार आपके हाथ से बच जाने के बाद भी यह दूसरी बार मेरे साथ यहां तक आया होता दिमाग वाले व्यक्ति क्या कभी ऐसी गलती करते हैं
संदेह छोड़िए और शिकार का आनंद लीजिए शेर का संचय जाता रहा वह शिकार पर टूट पड़ा पहले उसने भरपेट आहार लिया बाद में लोमड़ ने
यह कहानी यही शिक्षा देती है कि पहले सोचो फिर करो किसी की चिकनी चुपड़ी बातों में आना उचित नहीं है यदि वह गधा अपने दिमाग से काम लेता तो एक बार शेर के पंजे से बच निकलने के बाद दोबारा वह हरगिज जंगल की और ना जाता