ऊंट और उसके झूठे दोस्त
एक व्यापारी जंगल में से भार से लदे ऊंटो को ले जा रहा था उसमें से एक ऊंट थक कर गिर पड़ा व्यापारी के पास उसकी देखभाल के लिए समय नहीं था इसलिए वहां उसे वहीं छोड़कर आगे चल पड़ा वह पतला और मरियल ऊंट मरा नहीं वह अपने पैरों पर लड़खड़ा कर खड़ा हो गया वह जंगल की हरी हरी मीठी घास चरने लगा दिन गुजरते गए और धीरे-धीरे ऊंट में खोई हुई शक्ति और साहस वापस आ गया वहां मोटा हो गया और उसकी खाल चमकने लगी एक दिन जब हर रोज की तरह घास चर रहा था जंगल का राजा शेर उधर से गुजरा
उसके साथ उसके तीन साथी एक लोमड़ी एक कौवा और एक चीता भी था राजा घरेलू जानवर ऊंट को जंगल में देख कर बहुत हैरान हुआ उसने उनसे पूछा तुम यहां कैसे आ गए ? तो उसने अपनी सारी कहानी सुना दी जब शेर ने यह सुना कि ऊंट के स्वामी ने किसी प्रकार निर्दई बन कर उसे छोड़ दिया था तो उसे ऊंट पर दया आ गई अच्छा अब तुम्हे किसी से डरने की जरूरत नहीं अब से तुम मेरे संरक्षण में रहोगे मैं जंगल का राजा हूं और तुम हमारे साथ शांति से रह सकते हो ऊंट यह सुनकर खुश हो गया वह शांति से संतुष्ट होकर रहने लगा
एक दिन शेर तथा हाथी का युद्ध हो गया बड़े हाथी ने अपने लंबे दांत से शेर को घायल कर दिया शेर अपने आप को घसीट कर गुफा तक ले आया वहां वह निर्बल होकर चलने फिरने से लाचार होकर लेट गया जब उसके तीनों साथी हमदर्दी जाहिर करने आए तो उसने उनसे कहा मेरे लिए कुछ खाना ढूंढ कर लाओ जब तक कि मुझ में चलने की शक्ति नहीं आ जाती तीनों साथी खाने की तलाश में चल पड़े पर शाम तक उन्हें कोई भी जानवर शेर के खाने योग्य ना मिला लोमड़ी बहुत चालाक थी वह शेर के पास जाकर बोली महाराज हम शिकार ढूंढने के बजाय क्यों ना उस ऊंट को मार कर खा ले वह हमारे लिए एक अजनबी है और उसे राजा के लिए मार डालने में कोई भी गलती नहीं है
शेर को यह सुनकर बहुत गुस्सा आया मैं अपनी शरण में आए जानवर को कैसे मार सकता हूं मैं ऐसा कदापि नहीं करूंगा शेर ने कहा
मैं आपके नए ख्यालात से सहमत हूं पर यदि हम में से कोई एक आपकी जान बचाने के लिए अपने आप को आपके हवाले कर दे तो कोई गलत बात नहीं होगी
आप इसे कैसे ठुकरा सकते हैं जबकि आपने कई बार खाना तथा सुरक्षा देकर हमारी जान बचाई है भूखा शेर इस बार मना ना कर सका लोमड़ी अपनी चालाकी पर खुश होकर जल्दी से अपने दोस्त के पास पहुंची हमारा राजा भूख से मर जाएगा
क्योंकि हम कोई शिकार नहीं ढूंढ सके वह मान गया है यदि हममें से कोई अपनी मर्जी से उसका भोजन बन जाए अब हमारा यह कर्तव्य है कि हम अपने आप को राजा के हवाले कर दें लोमड़ी ने कहा
लोमड़ी कौवा और चीता तीनों राजा शेर के पास पहुंचे सबसे पहले कौए ने कहा नेक राजा मैं अपने आपको खुशी से भेंट करता हूं आप की भूख मिटाने के लिए शेर कोई उत्तर दें उससे पहले ही लोमड़ी बोल पड़ी तुम इतने छोटे जानवर हो तुम्हारे से राजा की भूख नहीं मिटेगी तुमसे केवल एक ग्रास ही बनेगा
मैं ज्यादा खाना बन सकती हूं यह कह कर उसने सिर झुका लिया शेर के उत्तर देने से पहले ही चीता बोल पड़ा तुम कौवे से केवल थोड़ी बड़ी हो क्या तुम समझती हो कि तुम्हें खाकर हमारे राजा का पेट भर जाएगा नहीं नहीं तुम्हारे से ज्यादा अच्छा खाना मैं बन सकता हूं ऊंट चुपचाप खड़ा यह सारी बातें सुन रहा था राजा के सारे मित्र ने अपनी जिंदगी राजा के हवाले करने को कहा लेकिन उसने किसी को भी नहीं छुआ
मुझे भी अपना आदर पेश करना चाहिए और अपने आप को उसके हवाले कर देना चाहिए वहां आगे आया और जोर से बोला प्यारे मित्र चीता ! तुम और शेर एक ही जाति के हो वह तुम्हें कैसे मारेंगे शेर राजा को मुझे ही खा लेना चाहिए ज्यो ही ऊंट ने यह शब्द कहे तीनों चीता कौवा और लोमड़ी उस पर टूट पड़े और उसे मार डाला ऊंट बेचारा मारा गया उसने अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं किया कभी-कभी अच्छे नेता के चारों और गलत सलाह देने वाले लोग गिरे रहते हैं जो कि अपने ही मित्र को धोखा देने से नहीं चूकते