हर बार की तरह इस बार भी बेताल को पकड़ने में विक्रम को कोई कठिनाई नहीं हुई इस बार पुनः बेताल ने कहानी सुनाने प्रारंभ की…. उज्जैन नगरी में हरीदास नामक एक ब्राह्मण रहता था वह उस नगरी के राजा महाबली के यहां संदेशवाहक के रूप में नियुक्त था उसके परिवार में उसकी पत्नी के अलावा एक पुत्र व एक पुत्री थी उसकी पुत्री महादेवी विवाह योग्य हो चुकी थी और वह उपयुक्त वर की खोज में लगा था
उसे अपनी पुत्री के लिए सर्वगुण संपन्न युवक की तलाश थी एक बार राजा ने हरिदास को संदेश देने के लिए दूसरे नगर में भेजा सकुशल संदेश पहुंचाने के बाद जब वह वापस लौट रहा था तब उसकी भेंट एक ब्राह्मण युवक से हुई वह युवक हरिदास को अपनी पुत्री के लिए योग्य लगा किंतु अभी उसके गुण परखने बाकी थे
अतः हरिदास ने उससे उसके गुण के बारे में पूछा मैंने एक विशेष प्रकार के उड़ने वाले रथ का निर्माण किया है जो स्वयं ही तेज गति से उड़ता है राह में पड़ने वाली कोई भी बाधा उसके लिए मायने नहीं रखती उस रथ से कुछ ही क्षणों में कहीं भी पहुंचा जा सकता है उस युवक ने उत्तर दिया
हरिदास ने युवक से अगले दिन प्रातः रथ लेकर आने को कहा वह युवक अगले दिन प्रातः रथ लेकर उपस्थित हो गया हरिदास ने उस युवक से कहा कि इस रथ से हम लोग उज्जैन नगरी चलते हैं इस प्रकार रथ की परख भी हो जाएगी युवक तथा हरिदास उस रथ में सवार हो गए कुछ ही देर में वे दोनों उज्जैन नगरी में थे ब्राह्मण उस विचित्र रथ को देखकर अत्यंत प्रसन्न हुआ उसने उस युवक से अपनी पुत्री का विवाह तय कर लिया
उधर हरिदास के पुत्र ने भी एक अन्य ब्राह्मण युवक से अपनी बहन महादेवी का विवाह तय कर दिया उस ब्राह्मण युवक की विशेषता यह थी कि वह शास्त्रों में पारंगत था और भविष्य वक्ता भी था हरिदास के पुत्र को वह युवक अपनी बहन के लिए योग्य लगा और उसने उसे वचन दे दिया
हरिदास की पत्नी को भी एक युवक अपनी पुत्री के लिए पसंद आ गया था वह भी शास्त्र – वेद – पुराण आदि का अच्छा ज्ञाता था किंतु उसकी अन्य विशेषता यह थी कि वह एक श्रेष्ठ धनुर्धर भी था और शब्दभेदी बाण चलाने में उसे महारथ हासिल थी
हरिदास जब अपने घर वापस आया तो उसे ज्ञात हुआ कि उसके पुत्र और पत्नी ने भी महादेवी के लिए युवक पसंद कर रखे हैं अब तीनों की समस्या यह थी कि महादेवी का विवाह किससे किया जाए ? तीनों अपने द्वारा पसंद किए गए युवक के संदर्भ में तर्क दे रहे थे अतः तय किया गया कि महादेवी को ही तीनों युवकों के बारे में बता कर उसकी राय पूछी जाए किंतु वह भी कुछ ना बता पाई उसने भी फैसला अपने से बड़ों पर छोड़ दिया
इस बीच अचानक एक दिन एक भयानक राक्षस उज्जैन नगरी में आया और महादेवी को उठाकर ले गया इस घटना से सभी दुखी हो गए महादेवी का विवाह जिन तीन युवकों से तय हुआ था उन्हें भी महादेवी के लापता होने की सूचना मिल गई थी वे तीनों भी हरिदास के यहां पहुंच गए थे
सभी इस बात को लेकर मंत्रणा कर रहे थे कि किस तरह महादेवी का पता लगाया जाए तभी हरिदास के पुत्र ने अपनी पसंद वाले युवक से कहा तुम तो शास्त्रों में पारंगत और भविष्यवक्ता हो किसी भी घटना की जानकारी हासिल करने में तुम्हें महारत हासिल है पता लगाओ कि महादेवी इस समय कहां पर है ?
उस युवक ने आंख बंद की और कुछ मंत्र पढ़ने के बाद कहा – महादेवी इस समय एक रक्षक के वश में है उस राक्षस ने उसे उत्तर दिशा में पहाड़ के पीछे कैद कर रखा है
हरिदास की पसंद वाले युवक ने कहा आप लोग मेरे रथ पर बैठे यह रथ हमें तुरंत वहां पहुंचा देगा
सभी उस रथ पर सवार हो गए कुछ ही क्षणों बाद वे लोग उत्तर दिशा में स्थित पहाड़ पर थे किंतु वहां राक्षस वह महादेवी कहीं नजर नहीं आए तभी पहाड़ के पीछे से भयानक आवाज सुनाई दी भाग जाओ यहां से यह लड़की तुम्हें वापस नहीं मिलेगी यह मेरा भोजन है राक्षस ने कहा
हरिदास की पत्नी के पसंद वाले युवक ने कहा आप लोग चिंता ना करें मैं महादेवी को उस राक्षस से छुड़ाकर लाता हूं ऐसा कहकर वह पहाड़ पर चढ़ गया लेकिन उसे राक्षस दिखाई नहीं दिया तब उसने अपने धनुष से शब्दभेदी बाण द्वारा आवाज वाली दिशा में कई वार कर दिए फल स्वरुप एक भयानक चीख के साथ राक्षस की मृत्यु हो गई वह युवक महादेवी को लेकर वापस आ गया और सभी लोग उज्जैन नगरी लौट आए किंतु उनकी समस्या अब भी वही थी कि तीनों में से महादेवी का विवाह किससे किया जाए ?
तीनों युवक अपना अपना पक्ष रखते हुए कह रहे थे कि उनके बिना महादेवी का बचना संभव नहीं था
तब तय किया गया कि राजा महाबली की राय ली जाए वह जिसके पक्ष में फैसला देंगे उसी से महादेवी का विवाह कर दिया जाएगा जब राजा के पास यह समस्या पहुंची तब उन्होंने तुरंत इस समस्या का निदान कर दिया राजा के फैसले को सभी ने मानकर एक युवक से महादेवी का विवाह कर दिया
कहानी तो तुम ने सुन ली विक्रम अब यह बताओ कि महादेवी का विवाह किसके साथ हुआ ? बेताल ने प्रश्न किया –
बेताल महादेव जी का विवाह हरिदास की पत्नी द्वारा पसंद किए गए युवक से हुआ क्योंकि वास्तव में उसने ही महादेवी को बचाया था बाकी दोनों युवक ने तो मात्र सहायता की थी मुझे पता था विक्रम तुम सही उत्तर दोगे और मैं यह भी जानता था कि तुम उत्तर जरूर दोगे क्योंकि तुम बोल पड़े इसलिए मैं जा रहा हूं बेताल उड़ते हुए वापस शमशान की ओर चल दिया विक्रम भी हाथ में तलवार लेकर उसके पीछे भागने लगा